
सनातन धर्म का न आदि है ना अंत – स्वामी हरि चैतन्य पुरी
मुंबई। श्री हरि कृपा पीठाधीश्वर स्वामी हरि चैतन्य पुरी महाराज ने कहा कि हिंदू हृदय सम्राट बालासाहेब ठाकरे हिंदुत्व व सनातन संस्कृति के सदैव पक्षधर रहे और उसके लिए जीवन पर्यन्त समर्पित रहे। मुझे खुशी है कि उनके परिवार ने उसे आगे बढ़ाया है व हमेशा समर्पित भाव से हिंदुत्व व सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए कार्यरत रहेंगे। चेंबूर ( पश्चिम ) तिलक नगर स्थित लोक प्रभा सोसायटी में उपस्थित विशाल भक्त समुदाय को संबोधित करते उन्होंने कहा कि सनातन धर्म का आदि है ना अंत, इसलिए इसे सत्य सनातन धर्म कहते हैं। हम सभी का सम्मान करते हैं लेकिन जिसके बनने या बिगड़ने की तारीख पता ना हो जो सृष्टि के आरंभ से पहले व प्रलय के बाद भी रहेगा वही सनातन है। सनातन धर्म हमारे वैज्ञानिक ऋषियों की महान देन है। सनातन संस्कृति ढकोसला नहीं विज्ञान सम्मत है जिसे विज्ञान की कसौटी पर खरा परखा जा सकता है, यदि यह कह दें कि सभी का प्रादुर्भाव सनातन से ही हुआ है तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। वर्तमान में सनातन के लिए स्वर्णिम काल है। प्रसन्नता होती है जब लोगों में सनातन के लिए पुनः आकर्षण पैदा होते हुए देखते हैं। उन्होंने कहा कि अधर्माचरण करने वाले कुमार्गगामी लोगों का संग त्याग कर, जितेंद्रिय, श्रेष्ठ महापुरुषों का संग व उनकी सेवा करके अपने जीवन को कल्याणमय बनाएं। क्योंकि सत्पुरुषों का आचरण व कार्य सदैव अनुकरणीय होता है। उन्होंने कहा कि सत्संग का प्रकाश हमारे अंतर्मन को प्रकाशित करता है और हमें भी उस ज्ञान रूपी प्रकाश को अपने अंतर्मन में धारण कर परमपिता परमेश्वर को पाने का प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने महाराज जी का स्वागत करते हुए उन्हें राष्ट्र का गौरव बताते हुए कहा कि पूरे विश्व में महाराज जी ने हिंदुत्व व सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार में जो योगदान दिया है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है। अपने धारा प्रवाह प्रवचनों से उन्होंने सभी भक्तों को मंत्रमुग्ध व भाव विभोर कर दिया। सारा वातावरण भक्तिमय हो उठा व श्री गुरु महाराज, कामां के कन्हैया व लाठी वाले भैया की जय जयकार से गूंज उठा।