चक्रेश्वर महादेव मंदिर मेंभगवान विश्वकर्मा की 1000 साल पुरानी मूर्ति

मुंबई। उपनगर नालासोपारा के चक्रेश्वर महादेव मंदिर परिसर में भगवान विश्वकर्मा की करीब 1000 साल पुरानी मूर्ति मिलने का दावा किया जा रहा है। वसई विरार नगर निगम अंतर्गत जिला पालघर में चक्रेश्वर तालाब के पास चक्रेश्वर महादेव मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है।

माना जाता है कि ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से 15वीं शताब्दी ईस्वी तक सोपारा देश के पश्चिमी तट पर एक अत्यंत समृद्ध बंदरगाह था जो शूर्परका, शूरपारका, सप्पारक आदि नामों से विख्यात था। प्राचीन काल में यह नगर अपरान्त प्रदेश जिसे वर्तमान में कोंकण कहते हैं की राजधानी थी। यह एक व्यस्त व्यापार केंद्र और शैव- बौद्ध- जैन धर्म का भी महत्वपूर्ण केंद्र भी था। इस बात का उल्लेख कार्ले, नासिक, नानेघाट और कन्हेरी के शिलालेखों में भी मिलता है। व्यापार-वाणिज्य का महत्वपूर्ण केंद्र होने के कारण यहां शिल्पी वर्ग (भगवान विश्वकर्मा की संतान – लोहार, बढ़ई, ठठेरा, राजमिस्त्री / मूर्तिकार और सुवर्णकार ) विशेष रूप से पुष्पित पल्लवित हुए। चक्रेश्वर महादेव मंदिर परिसर में भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति पूर्व मध्यकालीन एक  हजार वर्ष पुरानी है। इस विशिष्ट मूर्ति जैसा मूर्ति देश में कहीं नहीं है। विश्वकर्मा की प्रतिमा त्रिमुखी है, भगवान विश्वकर्मा युवा रूप में चिह्नित हैं, उनके ऊपरी दाहिने हाथ में एक उपकरण है जो आधुनिक थियोडोलाइट जैसा दिखता है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई व्यक्ति माप लेने के लिए इसे देख रहा हो। जबकि बाएं हाथ में पाटा है। कालचक्र में खोये इस परिसर का पता 1882 ईस्वी में तब पता चला, जब इतिहासकार पंडित भगवान लाल ने उत्खनन किया। उत्खनन में प्राप्त बौद्ध स्तूप को भारत सरकार ने राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया लेकिन सनातन मंदिर, प्रतिमाएं व वास्तुकला चारों तरफ खुले में बिखरी पड़ी है और उपेक्षित है। इन्हीं अमूल्य धरोहरों के बीच भगवान विश्वकर्मा की भव्य प्रतिमा भी है।

पूर्व रेजिडेंट कमिश्नर रविशंकर श्रीवास्तव ने कहा कि हमारी समृद्ध विरासत को बचाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि विश्वकर्मा समाज को आगे आकर श्री विश्वकर्मा जी की प्रतिमा को  संरक्षित रखने का प्रयास करना चाहिए। बिहार विश्वकर्मा समाज सेवा संघ के अध्यक्ष सुखदेव शर्मा ने राज्य सरकार से सनातन धर्म के अवयवों को राजकीय संरक्षित स्मारक का दर्जा दिए जाने की मांग की है। उन्होंने पर्यटन व कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा को पत्र लिखकर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति की पुन: प्राणप्रतिष्ठा, जीर्णोद्धार व राजकीय महत्व के पर्यटन स्थल घोषित किये जाने की मांग की है।

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