भगवान विश्वकर्मा सृष्टि के प्रथम वैज्ञानिक : डॉ. तरुण मुरारी बापू, भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह
सतना। ट्रांसपोर्ट नगर स्थित श्री विश्वकर्मा मंदिर में श्री विश्वकर्मा मंदिर समिति की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा, विश्वकर्मा पुराण, पंचकुंडीय महायज्ञ और विश्वकर्मा भगवान की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर क्रान्तिकारी संत (दिगम्बर), विश्वकर्मा कुल पुरोहित डॉ. तरुण मुरारी बापू हरिद्वार सारंगपुर ने अपने प्रवचन में कहा कि अनादिकाल से सभ्यता के विकास में आदिमानव से आज के मानव तक की सभ्यता के विकास में योगदान भगवान विश्वकर्मा के पांचों वंशज मनु (लोहार), मय (बढ़ई), त्वष्टा (ताम्रकार), दैवज्ञ (सोनार), शिल्पी (मूर्तिकार) का योगदान निरंतर चला आ रहा है। आज जो विकसित सभ्यता और समाज परिलक्षित हो रहा है उसमें विश्वकर्मा समाज का योगदान है, इसलिए सृष्टि के प्रथम वैज्ञानिक भगवान विश्वकर्मा हैं। केरल राज्य के कलाड़ी गांव में विश्वकर्मा के घर जन्मे शंकर नाम के आठ वर्ष के बालक ने संपूर्ण भारत का भ्रमण कर जो बाद में आदि शंकराचार्य कहलाये, उन्होंने सनातन संस्कृति के चार मठ स्थापित करायें जो हमारे तीर्थ स्थान हैं। एलोरा,अजंता, एलिफेंटा की गुफाओं का निर्माण विश्वकर्मा ने किया है। भगवान विश्वकर्मा निर्माण के देवता हैं जिनके हम वंशज हैं। मशीनीकरण के इस युग में भी सभी कल कारखानों में भगवान विश्वकर्मा का पूजन वैदिक रीति-रिवाज से होता आ रहा है।
श्रीमद् भागवत कथा में मंदाकिनी ने दी गीता के उपदेश
कथा व्यास मंदाकिनी शर्मा ने कपिल भगवान द्वारा सांख्य गीता उपदेश,हिरण्याक्ष का वराह भगवान द्वारा उदगार का वर्णन करते हुए कहा कि सनातन संस्कृति के ह्वास को रोकने का माध्यम है श्रीमद् भागवत गीता, श्रोता वक्त का तालमेल राजा परीक्षित और व्यास महाराज सुखदेव की तरह होता है। हर घर में गंगाजल, गायत्री मंत्र का जाप, गोविंद की प्रतिमा,गाय और गीता होनी चाहिए। जब जब मानव मात्र में संकट है भगवान किसी न किसी रूप में अवतरित होकर संकटग्रस्त मानव का कल्याण करते हैं। हमें पाश्चात्य संस्कृति को छोड़कर अपनी सनातन संस्कृति को धारण कर मनुष्य को शाकाहार, व्यसन मुक्त होकर निरोगी काया के साथ दीर्घायु जीवन जीने का माध्यम भगवत आराधना है। कार्यक्रम में ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ट्रांसपोर्ट नगर,अखिल भारतीय विश्वकर्मा महासभा ट्रस्ट व समस्त विश्वकर्मा सामाजिक संगठन मध्य प्रदेश का विशेष सहयोग रहा।
श्रीमद् भागवत कथा में आचार्य रामाधार विश्वकर्मा, महापौर ममता पांडेय, रामकुमार विश्वकर्मा, रामअवतार विश्वकर्मा, रामप्रताप विश्वकर्मा, राजमणि विश्वकर्मा, बड़का विश्वकर्मा, रामनरेश विश्वकर्मा, घनश्याम विश्वकर्मा, इंजीनियर बी. के. विश्वकर्मा, इंजी. मणिराज विश्वकर्मा, शुभकरण विश्वकर्मा, नन्दकुमार विश्वकर्मा, अशोक विश्वकर्मा, विजय विश्वकर्मा, सुनील विश्वकर्मा, उपेन्द्र विश्वकर्मा, कामता प्रसाद विश्वकर्मा, संतकुमार सोनी, विकास विश्वकर्मा, राकेश विश्वकर्मा, अभिषेक विश्वकर्मा, जगत कुशवाहा, केदार विश्वकर्मा, रंजीत विश्वकर्मा, जगमोहन विश्वकर्मा, मुकुटधारी विश्वकर्मा, जगदीश विश्वकर्मा, जितेन्द्र विश्वकर्मा, रामनाथ विश्वकर्मा सहित बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।