कारपेंटरी कार्य पर हमें गर्व, इसे कमतर नहीं समझें : नरसी कुलरिया, विदेशों से फर्नीचर आयात पर जताया दुख

वड़ोदरा। इंटीरियर और समाजसेवा के स्तंभ नरसी समूह के सीएमडी नरसी कुलरिया ने कहा कि हमें सुथार शब्द पर गर्व है। हमारे दादा परदादा ने जो हमें सुथारी का काम सिखा कर गए हैं उसे कोई कमतर नहीं समझे।

वडोदरा में नवनिर्मित श्री विश्वकर्मा भगवान के भव्य मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बतौर विशिष्ट अतिथि नरसी कुलरिया ने कहा कि समाज के बिना किसी आदमी की पहचान नहीं है। समाज के महत्व को समझना होगा। हम सबको सुथार शब्द पर गर्व होना चाहिए, सुथार शब्द को हमें अमर करना है। उन्होंने कहा कि मुझे इंटीरियर और सुथारी लाइन ( कारपेंटरी व्यवसाय ) में आने का शुरू से ही शौक था। यह हमारी इंडस्ट्री है, इसकी ओर ध्यान नहीं देंगे तो इसे कोई और ले जाएगा। समाज के लोग भले ही किसी भी क्षेत्र में जाएं लेकिन अपने पैतृक व्यवसाय सुथारी को नहीं भूले। उन्होंने कहा कि आज भी हमारे देश में एक लाख 20 हजार करोड़ रुपए का फर्नीचर विदेशों से आयात होता है। यह देख कर दुख होता है कि देश में फर्नीचर का पैतृक कारोबार करने वाले कारपेंटरी कार्य में निपुण और नवीन तकनीकों से लैस हम सुथार समाज के लोगों के होते हुए यह स्थिति बनी हुई है।

नरसी ने कहा कि हमारा समाज संगठित और मजबूत बने इसके लिए समाज के लोगों को एकजुट होकर काम करना होगा। सबका साथ सबका विश्वास के साथ एक दूसरे का सहयोग करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि समाज के हर सुख दुख में कुलरिया परिवार साथ खड़ा मिलेगा। नरसी कुलरिया ने भव्य आयोजन और समाज को एकजुट करने के लिए वड़ोदरा सुथार समाज का आभार व्यक्त किया। नरसी कुलरिया के वड़ोदरा पहुंचते ही लोगों ने जोरदार स्वागत किया। इंटीरियर क्षेत्र में विश्वस्तरीय आयाम स्थापित कर चुके नरसी समूह के सीएमडी नरसी कुलरिया के साथ सेल्फी खिंचवाने के लिए युवाओं में होड़ सी मच गई। नरसी के व्यक्तित्व से अभिभूत लोग आपस में चर्चा करते नजर आए कि सफलता के पायदान चढ़ने के बाद भी नरसी कुलरिया कितने सरल और जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति है। भामाशाह नरसी ने श्री विश्वकर्मा भगवान मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में पांच लाख रूपये भेंट किया।

इस अवसर पर वडोदरा सांसद रंजनबेन भट्ट, वरिष्ठ समाजसेवी हीरालाल मांकड़, समाजसेवी सूरजमल मांकड़, अमराराम सुथार, गणेश सुथार, रामचंद्र उत्ता, हनुमान भद्रेचा, मदन मांकड़, त्रिलोक मांकड़, प्रदीप मांकड़, चंपालाल सुथार,भैरव सुथार, नथूराम सुथार, मोहनलाल कुलरिया, मोहन गांधीधाम, हेमराज मांकड़, पन्नालाल, दूलाराम दीपु खोखा, नवीन मांकड़ आदि गणमान्य लोग उपस्थित रहे। मंच का सूत्र संचालन प्रसिद्ध प्रस्तोता तिलोक एस. सुथार ने किया।

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